Shanghai Cooperation Organisation(SCO) आज एशिया और यूरेशिया के सबसे अहम बहुपक्षीय संगठनों में से एक है। सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए यह मंच लगातार मजबूत हो रहा है। साल 2025 में इसका 25वाँ शिखर सम्मेलन (SCO Summit 2025) आयोजित हो रहा है, जिस पर पूरी दुनियाँ की नजरें टिकी हुई हैं।
इस साल का आयोजन खास है क्योंकि इसमें न सिर्फ नए वैश्विक समीकरणों पर चर्चा होगी, बल्कि सदस्य देशों की भूमिकाएँ और रणनीतियाँ भी साफ दिखाई देंगी। भारत के लिए यह सम्मेलन और भी अहम है, क्योंकि SCO उसके लिए ऊर्जा सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन साधने का एक बड़ा मौका है।

SCO Summit 2025 कहाँ हो रहा है?
25वाँ SCO Summit 2025 चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा।
तियानजिन, जिसका अर्थ है “Heavenly Ford”, चीन का तीसरा सबसे बड़ा शहर है(शंघाई और बीजिंग के बाद)। यह राजधानी बीजिंग से लगभग 140 किमी दक्षिण-पूर्व में, उत्तर चीन के समतल मैदान (North China Plain) पर स्थित है।
यह शहर अपनी औद्योगिक और बंदरगाह गतिविधियों के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी प्रसिद्ध है।
- यहाँ के woven handicrafts, terra-cotta figurines और hand-painted woodblock prints दुनियाँभर में जाने जाते हैं।
- तियानजिन अपनी समुद्री भोजन(seafood cuisine) के लिए भी मशहूर है।
SCO Summit जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन से न केवल तियानजिन की आर्थिक और कूटनीतिक अहमियत बढ़ेगी, बल्कि इसकी सांस्कृतिक पहचान भी वैश्विक मंच पर और मजबूत होगी।
SCO का इतिहास और सदस्य देश (2025 तक):
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) आज एशिया और यूरेशिया का एक अहम बहुपक्षीय मंच बन चुका है। इसकी शुरुआत 1996 में “Shanghai Five” के रूप में हुई थी, जिसमें चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल थे। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से सीमा सुरक्षा और आपसी विश्वास को बढ़ाना था।
मुख्य पड़ाव:
- 2001: उज्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद संगठन का नाम बदलकर Shanghai Cooperation Organisation(SCO) रखा गया।
- 2005: भारत, ईरान और पाकिस्तान को Observer Status दिया गया।
- 2017: भारत और पाकिस्तान को स्थायी सदस्य बनाया गया।
- 2023: ईरान आधिकारिक रूप से SCO का 9वाँ सदस्य बना।
- 2024: बेलारूस ने संगठन में शामिल होकर SCO को 10 सदस्यीय बना दिया।
वर्तमान सदस्य देश (2025):
- चीन (China)– संस्थापक सदस्य
- रूस (Russia)– संस्थापक सदस्य
- कजाखस्तान (Kazakhstan)– संस्थापक सदस्य
- किर्गिस्तान (Kyrgyzstan)– संस्थापक सदस्य
- ताजिकिस्तान (Tajikistan)– संस्थापक सदस्य
- उज्बेकिस्तान (Uzbekistan)– 2001 में जुड़ा
- भारत (India)– 2017 में स्थायी सदस्य बना
- पाकिस्तान (Pakistan)– 2017 में स्थायी सदस्य बना
- ईरान (Iran)– 2023 में आधिकारिक सदस्य बना
- बेलारूस (Belarus)– 2024 में शामिल हुआ
मुख्यालय और आधिकारिक भाषाएँ:
- मुख्यालय: बीजिंग, चीन
- आधिकारिक भाषाएँ: चीनी और रूसी
आज SCO एक व्यापक संगठन बन चुका है, जो Eurasia की बड़ी शक्तियों से लेकर मध्य एशिया और दक्षिण एशिया तक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
SCO Summit 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व:
इस साल भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी SCO Summit 2025 में हिस्सा लेंगे। भारत की भागीदारी संगठन में उसकी स्थायी सदस्यता और क्षेत्रीय सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक रणनीति को दर्शाती है।
SCO Summit 2025 का प्रमुख नेतृत्व और अध्यक्षता:
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के लिए कोई “स्थायी अध्यक्ष” नहीं होता। यह रोटेशन आधारित अध्यक्षता प्रणाली अपनाता है, जिसमें अध्यक्षता हर साल सदस्य देशों के बीच रूसी वर्णमाला के क्रम के अनुसार बदलती है।
- 2024-2025 के लिए अध्यक्षता: चीन
- इसका मतलब है कि SCO Summit 2025 का आयोजन और संचालन चीन के नेतृत्व में होगा।
- चीन इस बार Summit के मुख्य निर्णयों और दिशा-निर्देशों में भी नेतृत्व करेगा।
भारत द्वारा SCO Summit की मेजबानी:
भारत ने अब तक एक बार(2023 में) SCO Summit की मेजबानी की है, जो वर्चुअल फॉर्मेट में आयोजित हुई थी।
SCO 2025 की थीम और प्रमुख पहल:
थीम:
“Upholding the Shanghai Spirit: SCO on the Move”
(हिंदी में: “शंघाई भावना को बनाए रखते हुए: SCO की प्रगति”)
विशेष पहल:
- चीन ने 2025 को “SCO Year of Sustainable Development” घोषित किया है।
- इसका उद्देश्य है कि सदस्य देशों में सतत विकास, हरित ऊर्जा और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दिया जाए।
भारत ने SCO क्यों जॉइन किया?
भारत ने 2017 में स्थायी सदस्य बनने के बाद SCO का हिस्सा बनने का निर्णय लिया। इसके मुख्य कारण थे-
- क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला- SCO मंच पर सदस्य देश मिलकर आतंकवाद, कट्टरपंथ और सुरक्षा खतरों के खिलाफ सहयोग करते हैं।
- मध्य एशिया और Eurasia में कूटनीतिक प्रभाव- SCO के माध्यम से भारत को Central Asia और Eurasia में अपने रणनीतिक हित मजबूत करने का मौका मिलता है।
- ऊर्जा और आर्थिक सहयोग- सदस्य देशों के साथ ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार और निवेश के नए अवसर पैदा होते हैं।
- वैश्विक बहुपक्षीय मंच पर भारत की उपस्थिति- SCO भारत को multipolar world order में अपनी भूमिका दिखाने और वैश्विक मंच पर कूटनीतिक महत्व बढ़ाने में मदद करता है।
भारत और SCO: वर्तमान परिप्रेक्ष्य और रणनीतिक अवसर-
आज के समय में वैश्विक राजनीति और आर्थिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
USA–India संबंध और व्यापारिक तनाव:
- हाल के वर्षों में USA और India के बीच व्यापारिक मुद्दों और टैरिफ(Tariff) को लेकर तनाव देखने को मिला है।
- इस स्थिति ने भारत को वैकल्पिक regional और multilateral मंचों की तलाश करने पर मजबूर किया है।
China और Russia के साथ भारत के रिश्ते:
- SCO के माध्यम से China और Russia भारत के साथ अपने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
- यह भारत के लिए एक अवसर है कि वह Eurasia में अपनी कूटनीतिक संतुलन नीति को लागू करे और नए आर्थिक साझेदारी के अवसर प्राप्त करे।
SCO का महत्व:
- SCO भारत को एक multipolar world order में प्रभावशाली भूमिका निभाने का मंच देता है।
- सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार और regional connectivity के मुद्दों में सदस्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का यह सही समय है।
SCO Summit 2025 न सिर्फ एक वार्षिक सम्मेलन है, बल्कि यह एशिया और Eurasia के देशों के बीच सहयोग, सुरक्षा और आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण मंच भी है। भारत की भागीदारी इस संगठन में उसकी सुरक्षा, कूटनीति और आर्थिक हितों को मजबूती देती है। SCO 2025 भारत और पूरे क्षेत्र के लिए साझा विकास, सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देने वाला एक निर्णायक मंच साबित हो सकता है।
भारत-चीन संबंधों पर विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।