India China रिश्ते में बदलाव: Russia की नई भूमिका।

2025 में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। India China Russia के बीच रिश्ते पहले से कहीं अधिक अहम हो गए हैं, वहीं पाकिस्तान का झुकाव चीन से हटकर अमेरिका की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में भारत ने चीन को वह तेल बेचा, जिसे यूरोपीय संघ ने लेने से मना कर दिया था, यह घटना वैश्विक राजनीति के बदलते समीकरण का बड़ा संकेत देती है।

India China Russia leaders Narendra Modi, Vladimir Putin और Xi Jinping का handshake
भारत, चीन और रूस के नेताओं का ऐतिहासिक हैंडशेक

India China के रिश्तों में बदलाव:

करीब 3 हफ्ते पहले यूरोपीय संघ (EU) ने भारत की गुजरात में स्थित एक रिफाइनरी नायरा एनर्जी से तेल खरीदने से मना कर दिया था। यूरोपीय संघ (EU) का कहना था कि इस रिफाइनरी में रूस की रोसनेफ्ट (Rosneft) की 49.13% हिस्सेदारी है, इसलिए हम यहाँ से तेल का आयात नहीं करेंगे| पर अब अचानक से चीन बीच में आकर इस तेल को खरीदने के लिए तैयार खड़ा है, जो India China के रिश्तों को एक नयी दिशा में ले जाने वाला एक नया कदम लग रहा है।

पिछले 4 सालों में ये पहली बार हुआ है कि भारत ने अपना डीजल चीन को भेजा हो। यूरोपीय संघ (EU) ने जो भारत के तेल निर्यात को बाधित करने की कोशिश की थी, चीन उस कोशिश को नाकाम करता हुआ दिखाई दे रहा है। कहीं न कहीं इसके पीछे रूस की India China Russia को एक करने की जो कोशिश है, वो सफल होती हुई नजर आ रही है। तीनों देशों में इतनी समझ तो आ गई है की USA और EU के दबाव में तीनों एक-दूसरे की सहायता करना शुरु कर चुके हैं|

चीन ने कई सालों से भारत पर यूरिया के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा के रखा हुआ था, जिससे हमारे किसानो को यूरिया महँगे दामों में मिलता था| पर अब चीन ने कहा है की अब हम यूरिया को भारत में भी बेचना शुरु करेंगे। एक तो ये भारत के किसानों के लिए लिए बहुत अच्छी खबर है, दूसरा इससे हमारे देश को लाखों रुपयों का फायदा भी होगा, क्यूँकि चीन सस्ता यूरिया बेचता है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात

India China की विदेश नीति:

कुछ दिनों में चीन के विदेश मंत्री Wang Yi भारत में आने वाले हैं, इस मकसद से की भारत और चीन का जो सीमा विवाद है, वो किसी तरह खत्म हो जाए। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी पूरी कोशिश है की India China सीमा विवाद उनके कार्यकाल में ही खत्म हो जाए। इससे हमारी पूर्वी सीमा की चिंता काम हो जाएगी और हम पश्चिम में पाकिस्तान पे ज्यादा ध्यान रख पाएँगे। पर इससे USA जरुर परेशान हो जाएगा, क्यूँकि India China के अच्छे समन्ध USA के लिए बिल्कुल भी सुविधाजनक नहीं हैं|

USA-Pakistan की बढ़ती नजदीकियाँ:

पाकिस्तान लंबे समय से चीन का नजदीकी सहयोगी रहा है, खासकर China-Pakistan Economic Corridor(CPEC) के कारण। लेकिन सुरक्षा चुनौतियों, प्रोजेक्ट डिले और पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसकी गति काफी धीमी हो गई है। कई प्रोजेक्ट अधूरे हैं या बंद पड़े हैं, जिससे पाकिस्तान में चीन के प्रभाव पर सवाल उठने लगे हैं।

पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है, विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गए हैं और बेरोज़गारी बढ़ी है। पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए International Monetary Fund (IMF) से राहत पैकेज लेना पड़ा। IMF के पीछे सबसे बड़ा प्रभाव अमेरिका का होता है, और इसीलिए पाकिस्तान को कई नीतिगत बदलाव करने पड़े, जो चीन के हितों के विपरीत भी थे।

इन हालात ने पाकिस्तान को फिर से अमेरिका की ओर झुकने पर मजबूर कर दिया है। हाल ही में पाकिस्तान और USA के बीच रक्षा सहयोग और आर्थिक सहायता पर चर्चाएँ तेज हुई हैं, जिससे साफ है कि आने वाले समय में पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

और जहाँ तक USA की बात है, जब भी कभी उसे ये लगता है की भारत उसकी कोई बात नहीं मान रहा है तो वो भारत को शाम, दाम, दंड और भेद की निति से परेशान करने की कोशिश करता है, और इस परिपेक्ष्य में(भारत को परेशान करने के लिए) उसका सबसे बड़ा हथियार पाकिस्तान ही होता है। और ये चीज USA को पाकिस्तान के और करीब ले आती है।

India China के ठीक होते रिश्ते और Russia का केंद्र में आना:

रूस आज की बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में एशिया के केंद्र में आता जा रहा है, खासकर India और China दोनों से उसके मजबूत रिश्तों की वजह से।

  • India और China दोनों से मजबूत रिश्ते– Russia का India के साथ दशकों पुराना रक्षा सहयोग है। भारत की कई अहम रक्षा प्रणालियाँ—जैसे S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और परमाणु पनडुब्बियाँ—रूस से ही आती हैं। वहीं China के साथ भी रूस के आर्थिक और रणनीतिक संबंध मजबूत हैं, खासकर ऊर्जा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। इस तरह रूस दोनों देशों के साथ एक संतुलित संबंध बनाए रखता है, जो उसे क्षेत्रीय राजनीति में एक अहम भूमिका देता है।
  • Ukraine war के बाद एशिया पर फोकस– 2022 में शुरू हुई Ukraine war के बाद पश्चिमी देशों (Europe और USA) ने रूस पर भारी आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इससे रूस ने अपना रणनीतिक फोकस एशिया की तरफ मोड़ लिया, क्योंकि यहीं उसे बड़े बाजार और सहयोगी मिल सकते थे। भारत और चीन, दोनों ने रूस से ऊर्जा और रक्षा सौदे बढ़ाए, जिससे रूस के लिए एशिया एक भरोसेमंद पार्टनरशिप का केंद्र बन गया।
  • Energy exports और defense cooperation– पश्चिमी देशों द्वारा तेल और गैस खरीदने से इनकार करने के बाद, रूस ने भारत और चीन को भारी डिस्काउंट पर तेल बेचना शुरू किया। इससे रूस की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली और भारत-रूस ऊर्जा सहयोग पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गया। रक्षा क्षेत्र में भी संयुक्त प्रोजेक्ट और हथियारों की आपूर्ति जारी है, जिससे रूस की एशिया में पकड़ और मजबूत होती जा रही है।

नई त्रिकोणीय साझेदारी की संभावना:

बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच India, China और Russia के बीच एक नई त्रिकोणीय साझेदारी की संभावना तेजी से उभर रही है। यह साझेदारी आर्थिक, रणनीतिक और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग के नए अवसर खोल सकती है।

  • India, China, Russia – Strategic cooperation के संभावित क्षेत्र:-इन तीनों देशों के पास ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग के बड़े अवसर हैं।
  • Energy sector में रूस स्थिर और सस्ता तेल-गैस दे सकता है।
  • Defense sector में भारत और रूस के संयुक्त प्रोजेक्ट पहले से चल रहे हैं, जबकि चीन अपनी तकनीकी क्षमता से योगदान दे सकता है।
  • Trade में तीनों देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन (De-dollarization) की दिशा में पहल हो रही है, जिससे पश्चिमी प्रतिबंधों का असर कम किया जा सके।

SCO और BRICS जैसे मंचों की भूमिका:-शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और BRICS जैसे मंच इन देशों को एक साथ आने और साझा मुद्दों पर रणनीति बनाने का मौका देते हैं। BRICS अब नए देशों को शामिल कर रहा है, जिससे इसका आर्थिक और राजनीतिक वजन बढ़ रहा है। SCO के जरिए सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर काम किया जा सकता है।

USA और पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया:

अमेरिका और यूरोपीय संघ इस संभावित गठबंधन को अपनी वैश्विक रणनीति के लिए चुनौती मान सकते हैं।

  • पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय यह होगा कि अगर ये तीनों देश मिलकर व्यापार और वित्तीय प्रणालियों में वैकल्पिक ढांचा तैयार कर लेते हैं, तो डॉलर पर निर्भरता घट सकती है।
  • NATO और G7 देशों से कूटनीतिक दबाव बढ़ सकता है, साथ ही मीडिया नैरेटिव के जरिए इस साझेदारी को कमजोर करने की कोशिशें भी की जा सकती हैं।

कुल मिलाकर, अगर India-China-Russia त्रिकोण सही तरीके से आगे बढ़ता है, तो यह न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया के शक्ति संतुलन को बदल सकता है।

दुनियाँ की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में India-China-Russia के बीच बढ़ता सामरिक और आर्थिक सहयोग एक नए भू-राजनीतिक युग की शुरुआत का संकेत देता है। जहाँ एक ओर पाकिस्तान का झुकाव अमेरिका की तरफ हो रहा है, वहीं दूसरी ओर रूस, भारत और चीन के बीच साझा हितों पर आधारित नजदीकियाँ बढ़ रही हैं।

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